लेखनी प्रतियोगिता -29-May-2023.... इकबाल...
ये कहानी हैं एक छोटे से बच्चे की जिसे सच बोलने और जूर्म के खिलाफ आवाज उठाना इतना भारी पड़ गया की उसे अपनी जान से हाथ धोना पड़ा...। ये कहानी हैं इकबाल की....।
इकबाल का जन्म एक बेहद गरीब परिवार में ***** शहर में सन् 1983 को हुआ था...। भरा पूरा परिवार ओर कमाने वाले सिर्फ उसके पिता...। एक अकेले इंसान के लिए सबको भरपेट खाना खिलाना भी भारी पड़ रहा था...।
ना जाने कितनी रातें तो उन सभी ने भूखे पेट ओर रोकर काटी होंगी...। लेकिन इन सबके बावजूद वो सभी का पालन पोषण ठीक से नहीं कर पा रहें थे...। मजबूरन उनको एक सेठ से कर्जा लेना पड़ा...।
कर्ज वो मर्ज हैं जो एक बार लग जाए तो आसानी से नहीं जाता..। ऐसा ही इकबाल के पिता के साथ हुआ..। उनको कर्ज लेने की ऐसी लत लगी की अब हर छोटी मोटी जरूरत के लिए वो कर्ज लेने लगे...।
लेकिन देनदारों ने भी एक वक्त बाद उन को कर्जा देना बंद कर दिया.... क्योंकि वो ना कर्जा चुकाते थे ना ही ब्याज....।
एक सेठ का कर्जा जब बहुत अधिक बढ़ गया था तो वो इकबाल के घर आए ओर उसके पिता को धमकाने लगे...।
आपस में बहस धीरे धीरे बढ़ गई ओर सेठ अपने कर्ज के मुआवजे में इकबाल को अपने साथ ले गया.. ओर उसके पिता से कहा की जब तक मेरा कर्जा नहीं वसूल हो जाता तब तक इकबाल से वो मनचाहा काम करवाएंगे...।
इकबाल ने बहुत आनाकानी की पर उसके पिता लाचार ओर बेबस होकर बैठ गए...।
सेठ इकबाल को अपनी एक फैक्ट्री में ले गया ओर उसे काम पर लगा दिया..। उस वक्त इकबाल की उम्र दस वर्ष से अधिक नहीं होगी....। सेठ इकबाल से बहुत अधिक काम करवाने लगा..। काम के बदले उसे एक वक्त का खाना भी ठीक से नहीं मिलता था...।
इकबाल के सारे सपने धीरे धीरे बिखरने लगे... वो पढ़ लिखकर बहुत बड़ा आदमी बनना चाहता था...। लेकिन अब वो एक फैक्ट्री में बंधक बनकर रह गया था...।
एक रोज़ इकबाल मौका देखकर फैक्ट्री से भाग निकला...। लेकिन फैक्ट्री का मालिक उसे चंद घंटो में ही फिर से पकड़ कर ले आया...। अब उसने इकबाल पर ओर अधिक जुल्म करने शुरू कर दिए...। वो उसको मारने पीटने लगे...। भूखा रखने लगे...। वो ये सब इसलिए करने लगा ताकि उस फैक्ट्री में काम करने वाले दूसरे बंधक कभी चाहकर भी वहां से भागने का सोच ना सकें...।
लेकिन इकबाल तो अपने ही उसूलों पर चलने वाला था... वो भला कैद में कब तक रहता...। एक दिन दोबारा मौका पाकर वो फैक्ट्री से भाग निकला... ओर इस बार भागकर वो सीधे एक एनजीओ में जा पहूंचा...।
वहां जाकर उसने उस फैक्ट्री ओर सेठ के बारे में सब बताया...। एनजीओ के कुछ अधिकारी इकबाल को साथ लेकर वहां उन सभी बंधकों को छुड़ाने पहुंचे...।
उस वक्त मीडिया में यह खबर बड़ी तेजी से फैल गई...। क्योंकि उस वक्त मीडिया में ऐसी सुर्खियों काफी प्रचलन में थी...। रातों रात इकबाल मीडिया का चहिता बन गया...। उसकी हिम्मत ओर बहादुरी के किस्से हर अखबार में छपने लगे...।
लेकिन इकबाल यहाँ पर ही आकर रुका नहीं... उसने एनजीओ की मदद से... अखबारों की मदद से ऐसे लोगों का पता लगाया ओर उनके खिलाफ आवाज उठाई...। एक तरह से वो मीडिया का सुपरस्टार बन गया था...। ना सिर्फ अपने मुल्क में इकबाल की बहादुरी के किस्से बल्कि उस वक्त के सबसे शक्तिशाली देशों में से एक अमेरिका और स्पेन जैसे देशों में भी गूंजने लगे...।
नाम और शौहरत के बावजूद भी वो अपने पिता ओर परिवार को नहीं भूला था...। एक रोज़ वो इन सब से कुछ वक्त निकाल कर अपने घर गया... सभी से मिलने..।
वो बहुत खुश था... जो वो चाहता था... अपने देश के लिए कुछ करना... जो उसके सपने थे... वो किसी ना किसी तरह साकार हो रहें थे...।
एक रोज़ वो अपने भाई के साथ अपने घर के बाहर बरामदे में साइकिल चला रहा था...। तभी अचानक कुछ नकाबपोश आए ओर उस मासूम बच्चे इकबाल को गोलियों से भून कर रफूचक्कर हो गए...। अप्रैल 1995 को महज बारह वर्ष की उम्र में उसका कत्ल कर दिया गया....। किसने किया ये आज भी किसी को नहीं पता.....आज तक उन कातिलों का कोई सुराग़ नहीं मिला हैं...।
कुछ दिन ये खबर चर्चा में रही.... लेकिन वक्त के साथ उस मुल्क के लोगों ने इकबाल को भूला दिया...। एक गुमनाम मौत के साथ इकबाल भी गुमनामी के साये में दब गया...। मीडिया का सुपरस्टार....अब इतिहास का काला पन्ना बनकर बिखर गया...।
आपको यह जानकर हैरानी होगी की उस मुल्क में जहाँ इकबाल ने चाइल्ड लैबर के खिलाफ जंग छेड़ी वहां आज के वक्त उसका कोई नामोनिशान नहीं हैं.... लेकिन अमेरिका और स्पेन जैसे देशों में आज भी कई जगह उसके पुतले मौजूद हैं...।
इकबाल को चाइल्ड लैबर के खिलाफ आवाज उठाने के लिए बहुत से पुरस्कारों से भी नवाजा गया था...।
लेकिन अफसोस की बात हैं की उसकी बुलंद आवाज़ को कुछ लोगों ने अपने फायदे के लिए हमेशा के लिए खत्म कर दिया...।
इकबाल हमेशा अपने उसूलों पर चला... अगर उसे सही सहारा ओर न्याय मिला होता तो आज चाइल्ड लैबर पर कड़ा कानून बनाया जा सकता था...।
madhura
25-Jun-2023 11:50 AM
good one
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kashish
17-Jun-2023 04:44 PM
nice
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Mohammed urooj khan
30-May-2023 12:44 PM
👌👌👌👌👌
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